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दार्शनिकसाहित्यकार
इटलीपोपनव ईसाई धर्मजिवंगली

जोवानी पिको देला मीरदेला (Giovanni Pico della Mirandola ; १४६३ --१४९४ ई.) इटली का प्रमुख प्लातौनवादी एवं मानववादी विचारक जो यूनानी, लातीनी, यहूदी, चाल्दी तथा अरबी भाषाओं का पंडित था। पिको ने स्वायत्त बुद्धियुक्त मानव व्यक्ति के महत्व, प्रताप, एवं आत्मसम्मान की प्राचीन धारणा की पुन:स्थापना करनेवाले नवीन नवप्लातौनवाद को जन्म दिया। उसका कथन था कि मनुष्य सर्वाधिक सौभाग्यवान्, देवताओं द्वारा भी प्रशंसा एवं ईर्ष्या योग्य जीव है। परमनिर्माता जगत्पिता ने उसे विश्व के मध्य में स्थित करके उसके स्थान, रूप, एवं कार्य को उसी के स्वतंत्र निर्णय पर छोड़ दिया है। मनुष्य चाहे तो वनस्पति स्तर पर जीवन काटे, चाहे पक्षु स्तर पर विषयभोग में रत रहे, और चाहे तो बौद्धिक स्तर पर अपने अधिकतम परिश्रम से स्वाभाविक दर्शन के द्वारा पृथ्वी पर नैतिक, ज्ञानाधारित, पवित्र, दैवी जीवन का विकास करे।
पिको ने सार्वजनिक वादविवाद के लिए दर्शन एवं धर्म की विविध शाखाओं पर नौ सौ प्रश्नोत्तर भी बनाए, परंतु धर्माधिकारी पोप ने उनका निषेध कर दिया। पिको द्वारा अपने कथनों की अभ्युपपत्ति प्रस्तुत करने पर उसकी व्यक्तिगत धर्मावलंबिता स्वीकार कर ली गई। उसने सृष्टि की एक रहस्यवादी व्याख्या प्रकाशित की।
पिको के मानववाद का प्रभाव नव ईसाई धर्म को केवल श्रद्धा पर आधारित रखने के पक्षपाती स्विस मानववादी जिवंगली पर पड़ा। उसके नवीन प्लातोनवाद ने यूरोप में यूश्लिन तथा अग्रिष्या फौन नैट्टेशाइम के अस्पष्टवाद को और पारा सेल्सस (१४९३) के कीमिया रसायन का जन्म दिया।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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