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लहसुन

Allium sativum Woodwill 1793.jpg

Allium sativum, known as garlic from William Woodville, Medical Botany, 1793.

वैज्ञानिक वर्गीकरण

जगत:

Plantae
अश्रेणीत:

Angiosperms
अश्रेणीत:

Monocots

गण:

Asparagales

कुल:

Alliaceae

उपकुल:

Allioideae
गणजाति:

Allieae

वंश:

Allium

जाति:

A. sativum

द्विपद नाम

Allium sativum
L.

लहसुन (Garlic) प्याज कुल (एलिएसी) की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके करीबी रिश्तेदारो में प्याज, इस शलोट और हरा प्याज़ शामिल हैं। लहसुन पुरातन काल से दोनों, पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसकी एक खास गंध होती है, तथा स्वाद तीखा होता है जो पकाने से काफी हद तक बदल कर मृदुल हो जाता है। लहसुन की एक गाँठ (बल्ब), जिसे आगे कई मांसल पुथी (लौंग या फाँक) में विभाजित किया जा सकता इसके पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला भाग है। पुथी को बीज, उपभोग (कच्चे या पकाया) और औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियां, तना और फूलों का भी उपभोग किया जाता है आमतौर पर जब वो अपरिपक्व और नर्म होते हैं। इसका काग़ज़ी सुरक्षात्मक परत (छिलका) जो इसके विभिन्न भागों और गाँठ से जुडी़ जड़ों से जुडा़ रहता है, ही एकमात्र अखाद्य हिस्सा है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। जैसे ऐलिसिन, ऐजोइन इत्यादि। लहसुन सर्वाधिक चीन में उत्पादित होता है उसके बाद भारत में।


लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड आदि पदार्थ पाये जाते हैं।




अनुक्रम





  • 1 परिचय


  • 2 इन्हें भी देखें


  • 3 सन्दर्भ


  • 4 बाहरी कड़ियाँ




परिचय




लहसुन


आयुर्वेद और रसोई दोनों के दृष्टिकोण से लहसुन एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है। भारत का चीन के बाद विश्व में क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है जो क्रमशः 1.66 लाख हेक्टेयर और 8.34 लाख टन है। लहसुन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्व पाये जाते है जिसमें प्रोटीन 6.3 प्रतिशत , वसा 0.1 प्रतिशत, कार्बोज 21 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 1 प्रतिशत, चूना 0.3 प्रतिशत लोहा 1.3 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ए, बी, सी एवं सल्फ्यूरिक एसिड विशेष मात्रा में पाई जाती है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्वों में एक ऐलीसिन भी है जिसे एक अच्छे बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक एवं एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है। अगर लहसुन को महीन काटकर बनाया जाये तो उसके खाने से अधिक लाभ मिलता है। यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। लहसुन, सेलेनियम का भी अच्छा स्रोत होता है। गर्भवती महिलाओं को लहसुन का सेवन नियमित तौर पर करना चाहिये।


लहसुन एक बारहमासी फसल है जो मूल रूप से मध्य एशिया से आया है तथा जिसकी खेती अब दुनिया भर में होती है। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के अलावा, भारत 17,852 मीट्रिक टन (जिसका मूल्य 3877 लाख रुपये हैं) का निर्यात करता है। पिछले 25 वर्षों में भारत में लहसुन का उत्पादन 2.16 से बढ़कर 8. 34 लाख टन हो गया है।



इन्हें भी देखें


  • लहसुन की जैविक खेती


सन्दर्भ





बाहरी कड़ियाँ









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