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हिन्दी साहित्य





काव्य में एक प्रकार का वाक्य दोष


परिभाषा:-
आचार्य मम्मट के अनुसार
काव्य के मुख्य अर्थ ( रस) के विधात तत्व ही दोष है|
आचार्य विश्वनाथ प्रसाद ने साहित्यदर्पण में "रसापकर्षका दोष:" कहकर रस का अपर्कष करने वालो तत्वों को दोष बताया है|
दोषों का विभाजन:---
दोषों का विभाजन करना तर्कसंगत नही है काव्यप्रकाश में ७० दोष बताए गये है इन्हे प्रायः पांच दोषो में विभाजित किया गया है:--
१-पद दोष २- पदांश दोष ३- वाक्य दोष. ४- अर्थ दोष
५- रस दोष







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