वृन्दावन शोध संस्थान उद्‌देश्य स्थापना एवं इतिहास बाहरी कड़ियाँ दिक्चालन सूचीवृन्दावन शोध संस्थान का जालघर

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पाण्डुलिपिहाथरस


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वृन्दावन शोध संस्थान भारतीय (विशेषतः बृज संस्कृति के संरक्षण) को समर्पित एक शोध संस्थान है।


इसका संचालन 'वृन्दावन शोध समिति' द्वारा किया जाता है। इस समिति की शासी-परिषद इस संस्थान का प्रबन्धन करती है। शासी परिषद्‌ में केन्द्र व उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति सचिव, राष्ट्रीय संग्रहालय व राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली के महानिदेशक, मथुरा के जिलाधिकारी एवं मथुरा राजकीय संग्रहालय के निदेशक पदेन-सदस्य होते हैं। अन्य सदस्यों का मनोनयन सामान्य परिषद के सदस्यों में से किया जाता है। शासी परिषद द्वारा नियन्त्रित संस्थान की पूर्ण व्यवस्था व देखरेख एक पूर्णकालिक निदेशक द्वारा की जाती है।



उद्‌देश्य


(1) हिन्दी, संस्कृत तथा अन्य भाषाओं की ब्रज क्षेत्र की कला, संस्कृति, साहित्य एवं इतिहास से संबंधितपाण्डुलिपियों का संग्रहण, संरक्षण एवं अध्ययन ।


(2) (विशेषतः ब्रज क्षेत्र की) विलुप्त एवं नष्ट होती हुई सांस्कृतिक विरासत जिसमें पाण्डुलिपियाँ, पुरातात्विक सामग्री, कलाकृतियाँ सम्मिलित हैं, का अनुरक्षण।


(3) भारतीय विशेषतः ब्रज क्षेत्र की कला, संस्कृति एवं इतिहास में शोध एवं अनुसंधान को प्रोत्साहन।


(4) पाण्डुलिपियों, पुरातात्विक महत्व की सामग्री, सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व की सामग्री के संरक्षण हेतु अत्याधुनिक संरक्षण प्रयोगशाला की स्थापना, ऐसी सामग्री के संरक्षण हेतु उपयोग में लाई जाने वाली वैज्ञानिक विधियों एवं उपकरणों पर अनुसंधान तथा संरक्षण कार्य में संलग्न व्यक्तियों व संगठनों के अनुरोध पर उचित शुल्क पर उन्हें उपरोक्त सुविधाएं उपलब्ध कराना।


(5) पुरातात्विक व सांस्कृतिक महत्व की सामग्री के संरक्षण हेतु ज्ञान के प्रसार के लिये केन्द्र स्थापित करना, प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना तथा प्रकाशन।


(6) कैटलॉग तथा महत्वपूर्ण मूलपाठ के समीक्षात्मक संस्करणों, अनुसंधान कार्यों के परिणामों व अन्य उपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन।


(7) संस्कृत, हिन्दी, कला, साहित्य, समाजशास्त्र तथा भारतीय ज्ञान, विशेषतः ब्रज क्षेत्र से संबंधित के अध्ययन एवं अनुसंधान को प्रोत्साहन।


(8) उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विश्वविद्यालयों, संग्रहालयों पुस्तकालयों एवं अन्य भारतीय शैक्षिक संस्थानों से सहयोग।


(9) व्याख्यानों, प्रदर्शनियों, सम्मेलनों व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन, ब्रज की कला, संस्कृति व साहित्य के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार से जुड़े विद्वानों व लेखकों को शोधवृत्ति व पुरस्कार प्रदान कराना।


(10) ब्रजभाषा-अंग्रेज़ी शब्दकोश के प्रकाशन का प्रस्ताव।


(11) सांस्कृतिक जन चेतना जागृत करने के उद्देश्य से इन्टर्नशिप कार्यक्रम।


(12) आधुनिकतम सूचना उपकरणों पर संग्रह के विषय में जानकारी उपलब्ध कराना।



स्थापना एवं इतिहास


वृन्दावन शोध संस्थान की स्थापना हाथरस (उत्तर प्रदेश) में जन्मे स्कूल ऑफ इण्डियन एण्ड अफ्रीकन स्टडीज, लंदन विश्‍वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ॰ रामदास गुप्त ने महत्वपूर्ण पाण्डुलिपियाँ एवं कलानिधियों के संग्रह, संरक्षण, शोध व प्रकाशन के उद्‌देश्य से 24 नवम्बर सन्‌ 1968 में बिहार-पंचमी के पुण्य-पर्व पर की थी। संस्थान का उद्‌घाटन तत्कालीन प्रखयात विद्वान एवं तत्कालीन केन्द्रीय मन्त्री डॉ॰ कर्ण सिंह ने किया था।


ब्रज संस्कृति के संरक्षण व संपोषण हेतु संस्थापित वृन्दावन शोध संस्थान प्रारम्भ में वृन्दावन के लोई बाजार स्थित हाथरस वाली धर्मशाला में डॉ॰ रामदास गुप्ता द्वारा व्यक्तिगत आर्थिक संसाधन के द्वारा संचालित हुआ। कालान्तर में इसे भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार संस्कृति विभागों से आवर्तक / अनावर्तक अनुदान प्राप्त होने लगा। अतएव सरकार द्वारा प्राप्त आर्थिक सहायता से वृन्दावन शोध संस्थान सन्‌ 1985 में वृन्दावन के रमणरेती क्षेत्र स्थित दाऊजी की बगीची (सिद्वसन्त ब्रह्मलीन रामकृष्णदास जी 'पण्डित बाबा' की भजनस्थली) स्थित नवनिर्मित भवन में स्थानान्तरित हो गया।



बाहरी कड़ियाँ



  • वृन्दावन शोध संस्थान का जालघर

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