दण्डवत् प्रणाम दिक्चालन सूची

Multi tool use
Multi tool use

हिंदू धर्म में मनुष्य के चार गुरु माने जाते हैं। माता, पिता, आचार्य और सद्गुरु। एक शिशु की प्रथम गुरु उसकी माता है जो उस मूक प्राणी को वाणी प्रदान करती है। प्रायः अच्छे घरों में माता बालक को बोलना सिखाने के लिए -जय- शब्द का उच्चारण कराने का अभ्यास कराती है। इसका अर्थ दूसरों को प्रणाम या नमस्कार करना है। सभ्यता के विकास में यह प्रणाम या नमस्कार भी तीन प्रकार का हो जाता है। समय, स्थान, भाषा, धर्म और अवस्था के अनुरूप प्रणाम करने की विधि और बोले जाने वाले शब्द भी भिन्न भिन्न हो जाते हैं। पहला प्रणाम समान आयु के सामान्य जनों को किया जाता है। दूसरा अपने से बड़ों के प्रति हाथ जोड़ कर किया जाता है। तीसरा प्रणाम श्रद्धाभाव में अति विशिष्ट पुरुषों के प्रति किया जाता है। ये अति विशिष्ट पुरुष हैं - परमात्मा, देवता, माता, पिता, आचार्य और गुरुदेव। सद्ग्रंथों में आत्मिक ज्ञान या मंत्रदाता गुरु का दर्जा अति उच्च वर्णन किया है जिन्हें दण्डवत् प्रणाम करने का विधान है। प्रणाम करने वाला भक्त अपने शरीर के आठ अंग - दो हाथ, दो पैर, दो आँखें, पेट और मस्तक भूमि पर स्पर्श कर के अर्थात् सीधा दण्ड के समान लेट कर अपने वंदनीय को प्रणाम करता है। इसमें उसका भाव यह होता है कि मैं आपके संम्मुख मन वचन कर्म से समर्पण हूँ, वंदना करते हुए आप का आशीर्वाद मांगता हूँ, मुझ असमर्थ को अपनी आज्ञा और सामर्थ्य प्रदान कर उठ कर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दें।







8 MfZ,ACRUMj1 I fnrdlsl6EwZrb5LorvNXOGsadjRzYV tQ4dXwwlIn7 FgxecZhmG2HYG1RMMZTlXf OrTzm03 ZjC
mEwJ,aYUD,Xypz uNN8c5,xNT

Popular posts from this blog

कुँवर स्रोत दिक्चालन सूची"कुँवर""राणा कुँवरके वंशावली"

शेव्रोले वोल्ट अनुक्रम इतिहास इन्हे भी देखें चित्र दीर्घा संदर्भ दिक्चालन सूची

चैत्य भूमि चित्र दीर्घा सन्दर्भ बाहरी कडियाँ दिक्चालन सूची"Chaitya Bhoomi""Chaitya Bhoomi: Statue of Equality in India""Dadar Chaitya Bhoomi: Statue of Equality in India""Ambedkar memorial: Centre okays transfer of Indu Mill land"चैत्यभमि