हेंड्रिक लारेंज़ परिचय इन्हें भी देखें दिक्चालन सूचीसंवर्ल्डकैट68984502n832393840000 0001 0912 1560118780484235195031196594cb12245820n(आँकड़े)26511706901123521057563559293900448030jn20021014005H.LorentzXX1340033

15 अवयवों के साथ प्राधिकरण नियंत्रण1853 में जन्मे लोगभौतिक विज्ञानीनोबेल पुरस्कार विजेतानोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकनोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानीव्यक्तिगत जीवन१९२८ में निधन


भौतिकीनोबेल पुरस्कारगणितीय भौतिकीहारलेमटेलर संग्रहालयपरावर्तनअपवर्तनअपवर्तनांकघनत्वविद्युतचुंबकत्वमैक्सवेलज़ेमान प्रभावआइन्स्टाइनआपेक्षिकता सिद्धांतक्लार्क मैक्सवेलइंग्लैंडरॉयल सोसायटी




















हेंड्रिक एंटून लारेंज़

जन्म
18 जुलाई 1853
आर्नहेम, नीदरलैण्ड
मृत्यु
4 फ़रवरी 1928(1928-02-04) (उम्र 74)
हार्लेम, नीदरलैण्ड
राष्ट्रीयता
नीदरलैण्ड
क्षेत्र
भौतिकी
शिक्षा
लीडेन विश्वविद्यालय
डॉक्टरी सलाहकार
पीटर रिजेक
प्रसिद्धि

  • लोरेन्ट्स रूपांतरण

  • विद्युतचुंबकीय विकिरण सिद्धान्त

  • लॉरेंज बल

  • लोरेन्ज संकुचन


उल्लेखनीय सम्मान


  • भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (1902)


  • फैलो ऑफ़ रॉयल सोसाइटी (1905)[1]


  • रमफोर्ड मेडल (1908)


  • फ्रेंकलिन मेडल (1917)


  • कोप्ले मेडल (1918)


हेंड्रिक ऐंतूँ लारेंज़ (Hendrik Antoon Lorentz, सन् १८५३-१९२८) प्रसिद्ध डच भौतिकीविद् थे जिन्हें १९०२ का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया।



परिचय


हेण्ड्रिक लारेंज का जन्म आर्नहेम में हुआ था। इन्होंने ल्येडन (Leyden) में शिक्षा पाई और यहीं सन् १८७८ में गणितीय भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए। बाद में ये हारलेम (Haarlem) के टेलर संग्रहालय में अनुसंधान के निदेशक हो गए, किंतु लेडेन में प्रति सप्ताह भौतिकी विषयक व्याख्यान देते थे।


सन् १८७५ में प्रकाशित अपने लेख में इन्होंने विद्युत्पारकों और धातुओं द्वारा प्रकाश के परावर्तन और अपवर्तन की व्याख्या की तथा सन् १८८० में आपने माध्यमों के अपवर्तनांक तथा घनत्व के संबंध पर प्रकाश डाला। भौतिकी में लॉरेंज का कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत था। इन्होंने विद्युत, चुंबकत्व तथा प्रकाश संबंधी घटनाओं का गणितीय समाधान ढूँढ निकालने की चेष्टा की। अपने निष्कर्षों को स्थापित करने के लिए इन्होंने मैक्सवेल के सिद्धांतों का उपयोग किया तथा सन् १८९२ और १८९५ में दो महत्वूर्ण ग्रंथ प्रकाशित किए। पिछले ग्रंथ में इन्होंने एकसमान गति से चलनेवाले निकाय की वैद्युत्गतिकीय क्षेत्र संबंधी गवेषणा की थी। सन् १८९६ में आपने ज़ेमान प्रभाव की व्याख्या की। इन्होंने अन्य कई श्रेष्ठ ग्रंथ लिखे हैं, जिनमें आइन्स्टाइन का आपेक्षिकता सिद्धांत (सन् १९२०) तथा क्लार्क मैक्सवेल का विद्युच्चुंबकीय सिद्धांत (सन् १९२४) मुख्य हैं।


आप इंग्लैंड की रॉयल सोसायटी के सदस्य मनोनीत हुए तथा इस परमोच्च वैज्ञानिक संस्था ने आपको सन् १९०८ में रंफोर्ड पदक तथा सन् १९१८ ये कॉप्लि पदक प्रदान किए। सन् १९०२ में आपको ज़ेमान के साथ भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।



इन्हें भी देखें


  • नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची

  • भौतिकी में नोबेल पुरस्कार

  • लॉरेंज बल

  • जेमान प्रभाव




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