भोजली देवी ऐतिहासिक उल्लेख सन्दर्भ दिक्चालन सूची"पर्व गीत"

Multi tool use
Multi tool use

संस्कृतिरक्षाबंधन


भारतसावनसप्तमीअन्नधानगेहूँजौदेवीरक्षाबंधनपृथ्वीराज चौहानराजा परमालचन्द्रावलीझूलाआल्हा-ऊदलकन्नौज






   

यह लेख आज का आलेख के लिए निर्वाचित हुआ है। अधिक जानकारी हेतु क्लिक करें।





भुजरियाँ


भारत के अनेक प्रांतों में सावन महीने की सप्तमी को छोटी॑-छोटी टोकरियों में मिट्टी डालकर उनमें अन्न के दाने बोए जाते हैं। ये दाने धान, गेहूँ, जौ के हो सकते हैं। ब्रज और उसके निकटवर्ती प्रान्तों में इसे 'भुजरियाँ` कहते हैं। इन्हें अलग-अलग प्रदेशों में इन्हें 'फुलरिया`, 'धुधिया`, 'धैंगा` और 'जवारा`(मालवा) या भोजली भी कहते हैं। तीज या रक्षाबंधन के अवसर पर फसल की प्राण प्रतिष्ठा के रूप में इन्हें छोटी टोकरी या गमले में उगाया जाता हैं। जिस टोकरी या गमले में ये दाने बोए जाते हैं उसे घर के किसी पवित्र स्‍थान में छायादार जगह में स्‍थापित किया जाता है। उनमें रोज़ पानी दिया जाता है और देखभाल की जाती है। दाने धीरे-धीरे पौधे बनकर बढ़ते हैं, महिलायें उसकी पूजा करती हैं एवं जिस प्रकार देवी के सम्‍मान में देवी-गीतों को गाकर जवांरा– जस – सेवा गीत गाया जाता है वैसे ही भोजली दाई (देवी) के सम्‍मान में भोजली सेवा गीत गाये जाते हैं। सामूहिक स्‍वर में गाये जाने वाले भोजली गीत छत्‍तीसगढ की शान हैं। खेतों में इस समय धान की बुआई व प्रारंभिक निराई गुडाई का काम समापन की ओर होता है। किसानों की लड़कियाँ अच्‍छी वर्षा एवं भरपूर भंडार देने वाली फसल की कामना करते हुए फसल के प्रतीकात्‍मक रूप से भोजली का आयोजन करती हैं।


सावन की पूर्णिमा तक इनमें ४ से ६ इंच तक के पौधे निकल आते हैं। रक्षाबंधन की पूजा में इसको भी पूजा जाता है और धान के कुछ हरे पौधे भाई को दिए जाते हैं या उसके कान में लगाए जाते हैं। भोजली नई फ़सल की प्रतीक होती है। और इसे रक्षाबंधन के दूसरे दिन विसर्जित कर दिया जाता है। नदी, तालाब और सागर में भोजली को विसर्जित करते हुए अच्छी फ़सल की कामना की जाती है।



ऐतिहासिक उल्लेख


भुजरियाँ बोने की प्रथा आठवीं शताब्दी से प्राचीन प्रतीत होती है। पृथ्वीराज चौहान के काल की लोकप्रचलित गाथा आल्हा के अनुसार चन्द्रवंशी राजा परमाल की पुत्री चन्द्रावली को उसकी माता सावन में झूला झुलाने के लिए बाग में नहीं ले जाती। पृथ्वीराज अपने पुत्र ताहर से उसका विवाह करना चाहता था। आल्हा-ऊदल उस समय कन्नौज में थे। ऊदल को स्वप्न में चन्द्रावली की कठिनाई का पता चलता है। वह योगी के वेश में आकर उसे झूला झुलाने का आश्वासन देता है। पृथ्वीराज ठीक ऐसे ही अवसर की ताक में था। अपने सैनिकों को भेजकर वह चन्द्रावली का अपहरण करना चाहता है। युद्ध होता है। ताहर चन्द्रावली को डोले में बैठाकर ले जाना चाहता है, तभी ऊदल, इन्दल और लाखन चन्द्रावली की रक्षा करके उसकी भुजरियाँ मनाने की इच्छा पूर्ण करते हैं। नागपंचमी को भी भुजरियाँ उगायी जाती हैं। उसे पूजा के पश्चात 'भुजरियाँ` गाते हुए नदी अथवा तालाब अथवा कूएँ में सिराया जाता है।[1] इस अवसर पर गाए जाने वाले लोक-गीतों को भोजली गीत[2] और इस पर्व को भोजली पर्व कहा जाता है। छत्तीसगढ़ जैसे कुछ प्रांतों में भोजली कान में लगाकर मित्र बनाए जाते हैं और इस मित्रता को जीवन भर निभाया जाता है।



सन्दर्भ



  1. परमार, डॉ॰ श्याम. हिन्दी साहित्य कोश, प्रथम भाग. पृ॰ 30. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया होना चाहिए (मदद).mw-parser-output cite.citationfont-style:inherit.mw-parser-output qquotes:"""""""'""'".mw-parser-output code.cs1-codecolor:inherit;background:inherit;border:inherit;padding:inherit.mw-parser-output .cs1-lock-free abackground:url("//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/6/65/Lock-green.svg/9px-Lock-green.svg.png")no-repeat;background-position:right .1em center.mw-parser-output .cs1-lock-limited a,.mw-parser-output .cs1-lock-registration abackground:url("//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/d/d6/Lock-gray-alt-2.svg/9px-Lock-gray-alt-2.svg.png")no-repeat;background-position:right .1em center.mw-parser-output .cs1-lock-subscription abackground:url("//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/a/aa/Lock-red-alt-2.svg/9px-Lock-red-alt-2.svg.png")no-repeat;background-position:right .1em center.mw-parser-output .cs1-subscription,.mw-parser-output .cs1-registrationcolor:#555.mw-parser-output .cs1-subscription span,.mw-parser-output .cs1-registration spanborder-bottom:1px dotted;cursor:help.mw-parser-output .cs1-hidden-errordisplay:none;font-size:100%.mw-parser-output .cs1-visible-errorfont-size:100%.mw-parser-output .cs1-subscription,.mw-parser-output .cs1-registration,.mw-parser-output .cs1-formatfont-size:95%.mw-parser-output .cs1-kern-left,.mw-parser-output .cs1-kern-wl-leftpadding-left:0.2em.mw-parser-output .cs1-kern-right,.mw-parser-output .cs1-kern-wl-rightpadding-right:0.2em


  2. "पर्व गीत" (एचटीएम). छत्तीसगढ़ सरकार. अभिगमन तिथि २१ अक्तूबर २००९. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)


U6n6OQs5F8Af,lwrj1O3 3L0pP06r8GQnQ70ZzgynIcoLYy977Me5SauzXm NQ RuEwPmwwpdvnyRt
uqOBLDwY6bG,l5cz6CC3aUhQFp4CcQ3Nf5J QlgtBC9Ty,XFRElLlS,Mn7X3S aSe74yTIu4y Rag QXAvNeH

Popular posts from this blog

कुँवर स्रोत दिक्चालन सूची"कुँवर""राणा कुँवरके वंशावली"

शेव्रोले वोल्ट अनुक्रम इतिहास इन्हे भी देखें चित्र दीर्घा संदर्भ दिक्चालन सूची

चैत्य भूमि चित्र दीर्घा सन्दर्भ बाहरी कडियाँ दिक्चालन सूची"Chaitya Bhoomi""Chaitya Bhoomi: Statue of Equality in India""Dadar Chaitya Bhoomi: Statue of Equality in India""Ambedkar memorial: Centre okays transfer of Indu Mill land"चैत्यभमि