राजा रवि वर्मा अनुक्रम जीवन परिचय कलाकृतियाँ रोचक तथ्य मुख्य कृतियाँ सन्दर्भ बाहरी कड़ियाँ दिक्चालन सूचीराजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिकराजा रवि वर्माआम लोगों के करीब थी राजा रवि वर्मा की शैलीसंवर्ल्डकैट20487458n891462830000 0001 1873 706811928295X080268080cb14652686g(आँकड़े)50012264190e62988-3a4d-4bbd-bdb2-f28e23c89bd635097288
भारतीय चित्रकार१८४८ जन्म१९०६ में निधनकेरल के लोग
भारतभारतीय साहित्यसंस्कृतिहिंदूमहाकाव्योंवडोदरागुजरातलक्ष्मीविलास महलकेरलकिलिमानूरतिरुवनंतपुरमतैल चित्रणमैसूरबड़ौदातंजौर कलाडाक्टर आनंद कुमारस्वामीमदुरैभारतमुंबईलक्ष्मीसरस्वतीभीष्मकृष्ण कोयशोदाशकुंतलाद्रौपदी
राजा रवि वर्मा | |
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जन्म | 29 अप्रैल 1848[1] किलिमानूर, त्रावणकोर |
मृत्यु | 2 अक्टूबर 1906 (aged 58) किलिमानूर, त्रावणकोर |
व्यवसाय | चित्रकार |
हस्ताक्षर |
राजा रवि वर्मा (१८४८ - १९०६) भारत के विख्यात चित्रकार थे। उन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता हिंदू महाकाव्यों और धर्मग्रन्थों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्तेमाल उनके चित्रों में दिखता हैं। वडोदरा (गुजरात) स्थित लक्ष्मीविलास महल के संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।
अनुक्रम
1 जीवन परिचय
2 कलाकृतियाँ
3 रोचक तथ्य
4 मुख्य कृतियाँ
5 सन्दर्भ
6 बाहरी कड़ियाँ
जीवन परिचय
राजा रवि वर्मा का जन्म २९ अप्रैल १८४८ को केरल के एक छोटे से शहर किलिमानूर में हुआ। पाँच वर्ष की छोटी सी आयु में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों को दैनिक जीवन की घटनाओं से चित्रित करना प्रारम्भ कर दिया था। उनके चाचा कलाकार राज राजा वर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और कला की प्रारम्भिक शिक्षा दी। चौदह वर्ष की आयु में वे उन्हें तिरुवनंतपुरम ले गये जहाँ राजमहल में उनकी तैल चित्रण की शिक्षा हुई। बाद में चित्रकला के विभिन्न आयामों में दक्षता के लिये उन्होंने मैसूर, बड़ौदा और देश के अन्य भागों की यात्रा की। राजा रवि वर्मा की सफलता का श्रेय उनकी सुव्यवस्थित कला शिक्षा को जाता है। उन्होंने पहले पारम्परिक तंजौर कला में महारत प्राप्त की और फिर यूरोपीय कला का अध्ययन किया।
डाक्टर आनंद कुमारस्वामी ने उनके चित्रों का मूल्यांकन कर कलाजगत में उन्हें सुप्रतिष्ठित किया। ५८ वर्ष की उम्र में १९०६ में उनका देहान्त हुआ।
कलाकृतियाँ
चित्रकला की शिक्षा उन्होंने मदुरै के चित्रकार अलाग्री नायडू तथा विदेशी चित्रकार श्री थियोडोर जेंसन से, जो भ्रमणार्थ भारत आये थे, पायी थी। दोनों यूरोपीय शैली के कलाकार थे। श्री वर्मा की चित्रकला में दोनों शैलियों का सम्मिश्रण दृष्टिगोचर होता है। उन्होंने लगभग ३० वर्ष भारतीय चित्रकला की साधना में लगाए। मुंबई में लीथोग्राफ प्रेस खोलकर उन्होंने अपने चित्रों का प्रकाशन किया था। उनके चित्र विविध विषय के हैं किन्तु उनमें पौराणिक विषयों के और राजाओं के व्यक्ति चित्रों का आधिक्य है। विदेशों में उनकी कृतियों का स्वागत हुआ, उनका सम्मान बढ़ा और पदक पुरस्कार मिले। पौराणिक वेशभूषा के सच्चे स्वरूप के अध्ययन के लिए उन्होंने देशाटन किया था।
उनकी कलाकृतियों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा गया है।
- (१) प्रतिकृति या पोर्ट्रेट,
- (२) मानवीय आकृतियों वाले चित्र तथा
- (३) इतिहास व पुराण की घटनाओं से सम्बन्धित चित्र।
यद्यपि जनसाधारण में राजा रवि वर्मा की लोकप्रियता इतिहास पुराण व देवी देवताओं के चित्रों के कारण हुई लेकिन तैल माध्यम में बनी अपनी प्रतिकृतियों के कारण वे विश्व में सर्वोत्कृष्ट चित्रकार के रूप में जाने गये। आज तक तैलरंगों में उनकी जैसी सजीव प्रतिकृतियाँ बनाने वाला कलाकार दूसरा नहीं हुआ। उनका देहान्त २ अक्टूबर १९०६ को हुआ।
रोचक तथ्य
- अक्टूबर २००७ में उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो भारत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर में बिकी। इस पेंटिंग में त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को मद्रास के गवर्नर जनरल रिचर्ड टेम्पल ग्रेनविले को स्वागत करते हुए दिखाया गया है। ग्रेनविले 1880 में आधिकारिक यात्रा पर त्रावणकोर गए थे जो अब केरल राज्य में है।
- फ़िल्म निर्माता केतन मेहता ने राजा रवि वर्मा के जीवन पर फिल्म बनायी। मेहता की फिल्म में राजा रवि वर्मा की भूमिका निभायी अभिनेता रणदीप हुड्डा ने। फिल्म की अभिनेत्री है नंदना सेन। इस फिल्म की खास बात यह है कि इसे हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में एक साथ बनाया गया है। अंग्रेजी में इस फिल्म का नाम है कलर ऑफ पैशन्स वहीं हिन्दी में इसे रंग रसिया नाम दिया गया।
- विश्व की सबसे महँगी साड़ी राजा रवि वर्मा के चित्रों की नकल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 रत्नों व धातुओं से जड़ी, 40 लाख रुपये की साड़ी को दुनिया की सबसे महँगी साड़ी के तौर पर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड में शामिल किया गया।
मुख्य कृतियाँ
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अष्टसिद्धि
लक्ष्मी
सरस्वती
भीष्म प्रतिज्ञा
कृष्ण को सजाती हुई यशोदा
राधामाधव
अर्जुन व सुभद्रा
गंगावतरण
शकुंतला
दुःखी शकुंतला
द्रौपदी
द्रौपदी का सत्वहरण
सैरंध्री
सन्दर्भ
↑ Joshi, Om Prakash (1985). Sociology of Indian art. Rawat Publications. पृ॰ 40..mw-parser-output cite.citationfont-style:inherit.mw-parser-output qquotes:"""""""'""'".mw-parser-output code.cs1-codecolor:inherit;background:inherit;border:inherit;padding:inherit.mw-parser-output .cs1-lock-free abackground:url("//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/6/65/Lock-green.svg/9px-Lock-green.svg.png")no-repeat;background-position:right .1em center.mw-parser-output .cs1-lock-limited a,.mw-parser-output .cs1-lock-registration abackground:url("//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/d/d6/Lock-gray-alt-2.svg/9px-Lock-gray-alt-2.svg.png")no-repeat;background-position:right .1em center.mw-parser-output .cs1-lock-subscription abackground:url("//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/a/aa/Lock-red-alt-2.svg/9px-Lock-red-alt-2.svg.png")no-repeat;background-position:right .1em center.mw-parser-output .cs1-subscription,.mw-parser-output .cs1-registrationcolor:#555.mw-parser-output .cs1-subscription span,.mw-parser-output .cs1-registration spanborder-bottom:1px dotted;cursor:help.mw-parser-output .cs1-hidden-errordisplay:none;font-size:100%.mw-parser-output .cs1-visible-errorfont-size:100%.mw-parser-output .cs1-subscription,.mw-parser-output .cs1-registration,.mw-parser-output .cs1-formatfont-size:95%.mw-parser-output .cs1-kern-left,.mw-parser-output .cs1-kern-wl-leftpadding-left:0.2em.mw-parser-output .cs1-kern-right,.mw-parser-output .cs1-kern-wl-rightpadding-right:0.2em
बाहरी कड़ियाँ
राजा रवि वर्मा से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
राजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिक (प्रभु जोशी)
राजा रवि वर्मा (अभिव्यक्ति)
आम लोगों के करीब थी राजा रवि वर्मा की शैली (लाइव हिन्दुस्तान)