बजड़ी अनुक्रम प्रयोग गुण इन्हें भी देखें सन्दर्भ बाहरी कडियाँ दिक्चालन सूचीबाजरे की लाभकारी खेतीबाजरामोटे अनाज का महत्त्वMillet Network of India (MINI)Crop Wild Relatives Gap Analysis PortalLost Crops of Africa: Volume I: Grains, Chapters 4-6
ख़रीफ़ की फ़सलकृषिअन्नमोटा अन्नचारा
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बाजरा फसल

फल रूप में लगे बाजरे के दाने अथवा सीटे (Pennisetum glaucum)
बाजरा एक प्रमुख फसल है। एक प्रकार की बड़ी घास जिसकी बालियों में हरे रंग के छोटे छोटे दाने लगते हैं। इन दानों की गिनती मोटे अन्नों में होती है। प्रायाः सारे उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में लोग इसे खाते हैं। बाजरा मोटे अन्नों में सबसे अधिक उगाया जाने वाला अनाज है। इसे अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप में प्रागेतिहासिक काल से उगाया जाता रहा है, यद्यपि इसका मूल अफ्रीका में माना गया है। भारत में इसे बाद में प्रस्तुत किया गया था। भारत में इसे इसा पूर्व २००० वर्ष से उगाये जाने के प्रमाण मिलते है। इसका मतलब है कि यह अफ्रीका में इससे पहले ही उगाया जाने लगा था। यह पश्चिमी अफ्रीका के सहल क्षेत्र से निकल कर फैला है।
बाजरे की विशेषता है सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उग जाना, तथा ऊँचा तापक्रम झेल जाना। यह अम्लीयता को भी झेल जाता है। यही कारण है कि यह उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां मक्का या गेहूँ नही उगाये जा सकते। आज विश्व भर में बाजरा २६०,००० वर्ग किलोमीटर में उगाया जाता है। मोटे अन्न उत्पादन का आधा भाग बाजरा होता है।
इस अनाज की खेती बहुत सी बातों में ज्वार की खेती से मिलती जुलती होती है। यह खरीफ की फसल है और प्रायः ज्वार के कुछ पीछे वर्षा ऋतु में बोई और उससे कुछ पहले अर्थात् जाड़े के आरंभ में काटी जाती हैं। इसके खेतों में खाद देने या सिंचाई करने की विशेष आवश्यकता नहीं होती। इसके लिये पहले तीन चार बार जमीन जोत दी जाती है और तब बीज बो दिए जाते हैं। एकाध बार निराई करना अवश्य आवश्यक होता है। इसके लिये किसी बहुत अच्छी जमीन की आवश्यकता नहीं होती और यह साधारण से साधारण जमीन में भी प्रायः अच्छी तरह होता है। यहाँ तक कि राजस्थान की बलुई भूमि में भी यह अधिकता से होता है। गुजरात आदि देशों में तो अच्छी करारी रूई बोने से पहले जमीन तयार करने के लिय इसे बोते हैं। बाजरे के दानों का आटा पीसकर और उसकी रोटी बनाकर खाई जाती है। इसकी रोटी बहुत ही बलवर्धक और पुष्टिकारक मानी जाती है। कुछ लोग दानों को यों ही उबालकर और उसमें नमक मिर्च आदि डालकर खाते हैं। इस रूप में इसे 'खिचड़ी' कहते हैं। कहीं कहीं लोग इसे पशुओं के चारे के लिये ही बोते हैं। वैद्यक में यह वादि, गरम, रूखा, अग्निदीपक पित्त को कुपित करनेवाला, देर में पचनेवाला, कांतिजनक, बलवर्धक और स्त्रियों के काम को बढा़नेवाला माना गया है।
अनुक्रम
1 प्रयोग
2 गुण
3 इन्हें भी देखें
4 सन्दर्भ
5 बाहरी कडियाँ
प्रयोग
बाजरे का प्रयोग भारत तथा अफ्रीका में रोटी, दलिया तथा बीयर बनाने में होता है। फसल के बचे भाग का प्रयोग चाराचारे, ईंधन तथा निर्माण कार्य में भी होता है। विश्व के विकसित भागों में इसका प्रयोग भोजन में ना होकर चारे के रूप में होता है। मुर्गी जो इसे चारे के रूप में खाती है के अंडो में ओमेगा ३ फैटी अम्ल ज्यादा पाया जाता है। दूसरे जंतु भी इसे चारे के रूप में खाकर अधिक उत्पादन करते है।
गुण
इसमें प्रोटीन तथा अमीनो अम्ल पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं, इसमे कैंसर कारक टाक्सिन नहीं बनते है, जो कि मक्का तथाज्वार में बन जाते है।
इन्हें भी देखें
- रबी की फसल
- खरीफ की फसल
- ज़ायद की फसल
- जुआर
- कोदो
- साँवा
- टांगुन
- चेना
- कुटकी
सन्दर्भ
[1]
[2]
बाहरी कडियाँ
बाजरे की लाभकारी खेती (केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान संस्थान)- बाजरा
- मोटे अनाज का महत्त्व
- Millet Network of India (MINI)
Crop Wild Relatives Gap Analysis Portal reliable information source on where and what to conserve ex-situ, regarding Pennisetum genepool
Lost Crops of Africa: Volume I: Grains, Chapters 4-6 - released by the National Research Council in 1996- Pearl Millet Thresher IDDS project