मुहम्मद ताहिर उल-क़ादरी अनुक्रम नाम का उच्चारण जीवनी राजनैतिक भूमिका इन्हें भी देखें सन्दर्भ दिक्चालन सूचीTahir-ul-Qadri's biographyTahir Qadri lecture for international Sufi conference"Tahir-ul-Qadri is a Sufi Muslim"Qadri teaches his followers the Sufi danceReligion, Terror, and Error: U.S. Foreign Policy and the Challenge of Spiritual EngagementTop Islamic scholar issues 'absolute' fatwa against terrorComing: Pak Islamic scholar who pulls no punches against terrorQadri given honour in IndiaPakistani scholar thanks Modi for securityAdequate security in place for Pak prof’s programme: StateGood Governance Reform Agenda in Pakistan: Current Challenges
पाकिस्तानी राजनीतिज्ञपाकिस्तानी धार्मिक नेता
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पूरा नाम | मुहम्मद ताहिर उल-क़ादरी محمد طاہر القادری |
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जन्म | १९ फ़रवरी १९५१ |
क्षेत्र | दक्षिण एशिया |
परम्परा | हनफ़ी क़ादिरिया सूफ़ी |
मुख्य रुचियाँ | सूफ़ी, इस्लामी दर्शन, हदीस, तफ़सीर, सीराह, तसव्वुफ़, राजनीति[1] |
उल्लेखनीय विचार | आतंकवाद पर फ़तवा, जिहाद की अवधारणा, अंतरधर्मीय वार्ता |
इनपर प्रभाव ताहिर अलाउद्दीन, मुहम्मद इक़बाल, इब्न अरबी, जलालुद्दीन रूमी, अब्दुल क़ादिर गिलानी, मुहम्मद अलावी अल-मालिकी | |
इनसे प्रभावित असद मुहम्मद सईद अस-साग़रजी, बाबिकिर अहमद बाबिकिर |
मुहम्मद ताहिर उल-क़ादरी (محمد طاہر القادری, Muhammad Tahir-ul-Qadri) एक पाकिस्तानी सूफ़ी विद्वान हैं जो पंजाब विश्वविद्यालय (पाकिस्तान) में अन्तराष्ट्रीय संवैधानिक क़ानून के भूतपूर्व प्रोफ़ेसर रह चुके हैं।[2][3][4] जनवरी २०१३ में उन्होंने पाकिस्तान में वहाँ की सरकार हटाने का अभियान छेड़ दिया, हालाँकि वह स्वयं कनाडा की नागरिकता रखते हैं। वे अपने २०१० में जारी किये गए फ़तवा के लिए भी जाने जाते हैं, जिसमें उन्होंने ठहराया कि आतंकवाद और आत्मघाती हमले दुष्ट और इस्लाम-विरुद्ध हैं और इन्हें करने वाले काफ़िर हैं। यह घोषणा तालिबान और अल-क़ायदा जैसे संगठनों की विचारधाराओं के ख़िलाफ़ समझी गई है।[5]
अनुक्रम
1 नाम का उच्चारण
2 जीवनी
2.1 मिनहाज-उल-क़ुरान की स्थापना
2.2 आतंकवाद पर फ़तवा
2.3 २०१२ में भारत का दौरा
3 राजनैतिक भूमिका
4 इन्हें भी देखें
5 सन्दर्भ
नाम का उच्चारण
'क़ादरी' में 'क़' अक्षर के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह बिना बिन्दु वाले 'क' से मिलता-जुलता लेकिन ज़रा भिन्न है। इसका उच्चारण 'क़ीमत' और 'क़ुरबानी' 'क़' से मिलता है।
जीवनी
क़ादरी पाकिस्तानी पंजाब के झंग शहर में १९ फ़रवरी १९५१ को फ़रीद-उद-दीन क़ादरी के घर जन्में थे। वे एक सियाल पंजाबी हैं। छोटी उम्र में उन्होंने झंग के 'सेक्रड हार्ट क्रिस्चन स्कूल' जाना शुरू किया जहाँ उन्होंने अंग्रेज़ी भी सीखी और ईसाई धर्म के पहलुओं से भी अवगत हुए। साथ-साथ उन्होंने इस्लामी धार्मिक शिक्षा भी प्राप्त की। फिर उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर से न्याय की तालीम ली और १९७४ में ऍल॰ऍल॰बी॰ की डिग्री प्राप्त की। कुछ समय वकालत करने के बाद इन्होनें १९७८-१९८३ काल में पंजाब विश्वविद्यालय में क़ानून पढ़ाया और फिर इस्लामी क़ानून प्रथा में डॉक्टर की डिग्री (पी॰ऍच॰डी॰) प्राप्त की, जिसमें इनका अध्ययन विषय 'इस्लाम में दण्ड, उनका श्रेणीकरण और दार्शनिक पहलू' था।
मिनहाज-उल-क़ुरान की स्थापना
१९८१ में उन्होंने सूफ़ी विचारधारा पर आधारित 'मिनहाज़-उल-क़ुरान इंटरनैश्नल' नामक संस्थान चलाया, जिसका ध्येय इस्लामी विचार को ग़ैर-चरमपंथी दृष्टि से समझना-समझाना, शिक्षा पर ज़ोर देना और अन्य धार्मिक समुदायों के साथ शांतिपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करना था।
आतंकवाद पर फ़तवा
२ मार्च २०१० को क़ादरी ने एक फ़तवा (इस्लामी धार्मिक मत व आदेश) जारी किया जिसमें पूरी तरह से दहशतगर्दी की निंदा की गई और उसे इस्लाम-विरुद्ध बताया गया। इसमें लिखा था कि 'आतंकवाद, आतंकवाद ही है; हिंसा, हिंसा ही है और इनकी न इस्लामी शिक्षा में कोई जगह है और न ही इन्हें न्यायोचित ठहराया जा सकता है।' यह ६०० पन्नों का आदेश 'आतंकवाद पर फ़तवा' (Fatwa on Terrorism) कहलाया गया।[6]
२०१२ में भारत का दौरा
२२ फ़रवरी २०१२ को क़ादरी चार हफ़्तों की भारत-यात्रा के लिए दिल्ली पहुँचे। उन्होंने पाकिस्तान और भारत पर सेना पर ख़र्चा कम करने का और ग़रीबी हटाने पर अधिक व्यय करने का आग्रह किया।[7][8][9] दिल्ली में अपने फ़तवे की पुस्तक के भारतीय उद्घाटन पर उन्होंने कहा कि 'इस्लाम में आतंकवाद की कोई जगह नहीं है।' वे तीर्थयात्रा पर अजमेर भी गए।[10]
राजनैतिक भूमिका
२५ मई १९८९ में क़ादरी ने 'पाकिस्तानी आवामी तहरीक' नामक राजनैतिक पार्टी स्थापित की जिसके उद्देश्य 'सच्चा लोकतंत्र, आर्थिक संतुलन, मानवाधिकार रक्षा में सुधार, सामाजिक न्याय और पाकिस्तान में स्त्रियों की भूमिका को बढ़ावा देना' बताया गया। १९९० में इस दल ने राष्ट्रीय चुनाव लड़े। आगे चलकर वे लाहौर क्षेत्र से पाकिस्तान की क़ौमी असेम्बली (यानि संसद) के सदस्य रहे लेकिन उन्होंने २००४ में इस्तीफ़ा दे दिया।[11]
इन्हें भी देखें
- फ़तवा
सन्दर्भ
↑ Tahir-ul-Qadri's biography
↑ Tahir Qadri lecture for international Sufi conference
↑ "Tahir-ul-Qadri is a Sufi Muslim"
↑ Qadri teaches his followers the Sufi dance
↑ Religion, Terror, and Error: U.S. Foreign Policy and the Challenge of Spiritual Engagement, Douglas M. Johnston Jr., pp. 239, ABC-CLIO, 2011, ISBN 978-0-313-39146-0, ... A particularly important declaration was that of Tahir ul-Qadri, a Pakistani Sufi sheikh, who released a 600-page fatwa on March 2, 2010, that totally discredited the ideology of terrorist groups ...
↑ Top Islamic scholar issues 'absolute' fatwa against terror
↑ Coming: Pak Islamic scholar who pulls no punches against terror
↑ Qadri given honour in India
↑ Pakistani scholar thanks Modi for security
↑ Adequate security in place for Pak prof’s programme: State
↑ Good Governance Reform Agenda in Pakistan: Current Challenges, Sohail Mahmood, pp. 74, Nova Publishers, 2007, ISBN 978-1-60021-418-9, ... Allama Tahir ul Qadri founded Pakistan Awami Tehreek (PAT) ... a small but well organized political party. Qadri was elected as MNA in the last general elections. However, he resigned from the National assembly later ...