अजीत कौर अनुक्रम
जीवन परिचय
साहित्य सृजन
पुरस्कार सम्मान
इनके साहित्य पर आधारित काम
दिक्चालन सूचीसंसंसं
देवासं
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत पंजाबी भाषा के साहित्यकारभारतीय महिला साहित्यकार1934 में जन्मे लोगजीवित लोगलाहौर के लोग
पंजाबीसर्वोच्च न्यायालयदिल्लीखानाबदोशडेड एंडपोस्टमार्टमगौरीकसाइबाड़ाकूड़ा-कबाड़ाकाले कुएँहिंदी अनुवादपाकिस्तानना मारोटीवी धारावाहिकगुलबानोचौखटमामीटेली फिल्म
अजीत कौर आजादी के बाद की पंजाबी की सबसे उल्लेखनीए साहित्यकार मानी जाती हैं। इनका लेखन जीवन के उहापोह को समझने और उसके यथार्थ को उकेरने की एक ईमानदार कोशिश है। इनकी रचनाओं में न केवल नारी का संघर्ष और उसके प्रति समाज का असंगत दृष्टिकोण रेखांकित होता है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक विकृतियों और सत्ता के गलियारों में व्याप्त बेहया भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक जोरदार मुहीम भी नजर आती है। पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए इन्होंने सर्वोच्च न्यायालय तक लड़ाइयाँ लड़ी है। इन्होंने दिल्ली में सार्क एकैडमी ऑफ आर्ट ऐंड कल्चर बनाया है। जहाँ आर्ट गैलरी भद्र जनों के साथ-साथ समाज के गरीब तबकों, झुग्गी के बच्चों और स्त्रियों के लिए भी खुली हैं।
अनुक्रम
1जीवन परिचय
2साहित्य सृजन
3पुरस्कार सम्मान
4इनके साहित्य पर आधारित काम
जीवन परिचय
साहित्य सृजन
कहानी संग्रह
कसाइबाड़ा
गुलबानो
महेग दी मौत
बुतशिकन
फालतू और ते साबिया चिड़िया
मौत अली बाबेदी
न मारो
नवम्बर 84
काले कुएँ
दास्तान एक जंगली राज की
उपन्यास
धुप्प वाला शहर
पोस्टमार्टम
गौरी
आत्मकथा
खानाबदोश (पहला खंड)
कूड़ा-कबाड़ा (दूसरा खंड)
संस्मरण
तकीए दा पीर
यात्रा वृतांत
कच्चे रंगों दा शहर लंदन
अनुवाद
सीताकांत महापात्र की कविताएँ
रमाकांत रथ की कविताओं का अनुवाद
साहित्य अकादमी के लिए कुलवंत सिंह विह पर किताब लिखी है।
पुरस्कार सम्मान
1979- पंजाब सरकार का शिरोमणी साहित्य पुरस्कार
1983- पंजाबी अकादमी दिल्ली का साहित्य पुरस्कार
1986- खानाबदोश (आत्मकथा) पर साहित्य अकादमी पुरस्कार
1986- बाबा बलवंत एबार्ड
1989- भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार
इनके साहित्य पर आधारित काम
इनकी आत्मकथा खानाबदोश का कई देशी-विदेशी भाषआओं में अनुवाद हुआ है। वे अब भी स्वयं को खानाबदोश ही मानती हैं। अंगरेजी में इनकी कहानियों का संग्रह डेड एंड चर्चित रहा है। इनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ जैसे- पोस्टमार्टम, खानाबदोश, गौरी, कसाइबाड़ा, कूड़ा-कबाड़ा और काले कुएँ हिंदी अनुवाद में भी उपलब्ध है। इनकी सात किताबें पाकिस्तान में प्रकाशित हुई है। ना मारो पर टीवी धारावाहिक बना है। गुलबानो, चौखट और मामी पर टेली फिल्म बनी है।
_श्रेणी_पृष्ठ|16px_सौन्दर्य_श्रेणी_पृष्ठ|16px_स्वास्थ्य_एवं_चिकित्सा_श्रेणी_पृष्ठ|16px_विज्ञान_श्रेणी_पृष्ठ|16px_सूचना_प्रौद्योगिकी_श्रेणी_पृष्ठ|16px_स्वतंत्रता_संग्राम_श्रेणी_पृष्ठ|16px_साहस_श्रेणी_पृष्ठ|16px_उत्पीड़न_एवं_अपराध"> राजनीतिविधि एवं न्यायवित्त एवं अर्थव्यवस्थाप्रशासनखेलसाहित्य एवं शिक्षाकला सौन्दर्यस्वास्थ्य एवं चिकित्साविज्ञानसूचना प्रौद्योगिकीस्वतंत्रता संग्रामसाहसउत्पीड़न एवं अपराध
पुष्टि की ज़रूरत वाले "सम्बंधित जाति समूह" क्षत्रियक्षेत्रीकर्णालीक्षेत्रीनेपाली भाषामेंकाजीबिष्टपाण्डेबस्नेतथापावत्सपृथ्वीनारायण शाहकेबलभद्र कुंवरभीमसेन ...
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