झेलम का युद्ध दिक्चालन सूची

भारत का इतिहास





झेलम नदी के किनारे सिकंदर को पंजाब के राजा पोरस का सामना करना पड़ा। सिकंदर ने पोरस को पराजित कर दिया, मगर उसके साहस से प्रभावित होकर उस का राज्य वापस कर दिया तथा पोरस सिकंदर का सहयोगी बन गया। सिकंदर की सेना ने व्यास (विपासा) नदी से आगे बढ़ने से इंकार कर दिया वह भारत में लगभग 19 महीने (326 ईसवी पूर्व से 325 ईसवी पूर्व तक) रहा। इसे हाईडेस्पीज (Hydaspes) का युद्ध भी कहते हैं।मई 326 ईसा पूर्व में यह लड़ाई झेलम नदी के तट पर हुई सिकंदर महान की सेना हिंदू कुश के पहाड़ों को पार करती हुई भारत में पहुंच गयी।सर्वप्रथम सिकंदर महान ने तक्षशिला के राजा के साथ एक के सहायक संधि की और उसको अपनी तरफ मिला का पोरष के खिलाफ अभियान चलाया क्योंकि तक्षशिला का राजा की फौज के विरोध में था। और इन दोनों ने सहयोग मिलकर कराने का निर्णय लिया। पोरस की सेना की खबर मिली तो वह झेलम नदी के पूर्वी तट पर पहुंच गया। सिकंदर की सेना उसे पश्चिमी तट से पार करने की कोशिश करती रही कई दिन बीत गए परंतु सिकंदर की सेना से पार नहीं कर सकी। दूसरी और पोरस की सेना ने अपने कैंप लगाए हुए थे और लगातार जिस तरफ उनकी सेना सिकंदर की सेना आगे बढ़ने की कोशिश भी आगे बढ़ जाते हैं और सिकंदर की सेना ने उत्तर में 27 किलोमीटर बढ़कर एक जगह से नदी पार कर कर पोरस की सेना पर हमला कर दिया उनकी में ही खत्म हो जाएगी जो कि पानी में से अधिक 27 किलोमीटर पश्चिम से नदी पार करते हुए पोरस पर हमला कर दिया सिकंदर की सेना के पास हाथी नहीं थी जबकि पोरस की सेना के पास हाथी थे। पोरस की सेना में हाथी और रखते जो खुद ही उसकी सेना के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गए उनके हाथियों पर अच्छे से लोहा चलाया गया था जो उनके हाथियों की रक्षा कर रहे थे परंतु उनके सैनिकों के पास कोई ऐसा हथियार नहीं थे ऐसे लोहे का कवच नहीं था जो उनकी रक्षा कर सके जिसके कारण के सैनिकों की मृत्यु बहुत जल्दी हो जाती थी।सिकंदर की सेना के पास काफी अच्छी लोहे के कवच थे। पोरस की सेना में हाथी और रथ सबसे बड़ी मुसीबत बन गये।क्योंकि उस वक्त बहुत वर्षा हुई थी सिकंदर की सेना के पास हाथी और रथ नहीं थे पानी गिरने के कारण सिकंदर की सेना कोई चीज से नुकसान नही। पोरस की रथ कुछ काम नहीं आ पा रहे थे और वह दलदल में फंस गए थे हाथी भी कुछ ऐसे ही होती हो के साथ भी हो रहा था।हारता हुआ देख सिकदर ने पत्र भेजा। परंतु पोरस ने हर बार उसे इंकार कर दिया परंतु अपनी हार को देखते हुए प्रश्न पत्र स्वीकार कर लिया और सिकंदर के अंदर स्वीकार कर ली सिकंदर उसके महान कायॅ से बहुत ही प्रसन्न हुआ और उसे अपना वेसल राजय बनाने की जगह उसको अपना गवर्नर बना दिया उस क्षेत्र का और पोरस को उनका सभी राज्य वापस लौटा दिया और उसको अपना क्षत्रप बना लिया जो कि उस वक्त गवर्नर होता था सिकंदर यहां से वापस लौट गया वह जानता था कि उसकी सेना थी और जब यहां ऐसा हाल हुआ है तो आगे भारत में तो नंद वंश का शासन आनंद का जो कि भारत का सबसे अमीर राजा था उसकी शक्ति असीम थी और वह सिकंदर को पराजित कर सकता था अंत का सिकंदर ने अपनी थकी हुई सेना को देख कर वापस बेबीलॉन लौटने का निर्णय लिया और बेबीलोन में ही 323 बीसी में उसकी मृत्यु हो गई।







Popular posts from this blog

Has the laser at Magurele, Romania reached a tenth of the Sun's power?Is the laser built in Măgurele, România, the most powerful in the world?Has man walked on the Moon?Did a nuclear blast devastate Port Chicago on July 17, 1944?Is this a true demonstration of using a stove to power a paper airplane?Does the Theradome Laser Helmet deliver around 7 J/cm2 to the head?What formula gives the solunar periods of the Solunar Theory?Can a strong solar storm knock out our power grids for months?Is half of the climate change in the past 110 years due to natural variation in the Sun's output?Does charging a phone use the same power as a washing machine?Is the laser built in Măgurele, România, the most powerful in the world?Do lipid droplets in our skin create a laser?

त्रोत्स्की जीवन परिचय बाहरी कड़ियाँ दिक्चालन सूचीत्रोत्सकी और भारत

नारायन दास पासी सन्दर्भ दिक्चालन सूचीबढ़ाने मेंसंउत्तर प्रदेश विधान सभा